राज्य के बजट पर विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच शुक्रवार को साढ़े पांच घंटे चर्चा चली। कांग्रेस विधायक राजेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि पूरा बजट कर्ज के बोझ के ऊपर रखा है। 3 लाख 65 हजार करोड़ का सरकार बजट लाई है, और 3 लाख 75 हजार करोड़ का कर्ज हो चुका है। देश की आबादी में हमारी हिस्सेदारी 6.2% है, लेकिन देश की जीडीपी में हिस्सेदारी सिर्फ 3.16% है। इसमें कहां हैं सरकार का परफॉर्मेंस।
उन्होंने कहा, सरकार के आंकड़ों में हमारी जीएसडीपी 15 लाख करोड़ पहुंची है। 2023-24 के वित्त वर्ष में राज्य सरकार ने 45 हजार करोड़ का कर्ज लिया है। 2024-25 का कर्ज भी 55 हजार करोड़ होने वाला है। बजट में घोषित योजनाओं को पूरा करने के लिए 95 हजार करोड़ की अतिरिक्त जरूरत पड़ेगी, इसके लिए कर्ज या केंद्र से अनुदान लेना होगा।
सरकार के पक्ष में होशंगाबाद विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा ने दावा किया कि केंद्र ने मप्र को 0.50% कर्ज लेने की लिमिट बढ़ाने की मंजूरी दे दी है, इससे बजट घाटा पूरा हो जाएगा, जो एफआरबीएम एक्ट के दायरे में ही रहेगा। सरकार सीएम राइज स्कूल, पीएमश्री कॉलेज खोल रही है। इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने कर्ज लिया है। कांग्रेस की तरह वेतन बांटने को नहीं।
सचिन यादव ने कहा कि बजट आवंटन होने के बाद मंत्री अपने स्तर पर बजट खर्च करने का फैसला नहीं ले सकते। बजट स्वीकृति के लिए हर फाइल वित्त विभाग के पास जाती है, ऐसे में इस बजट को पास करने का क्या औचित्य है। कांग्रेस की ओर से हीरालाल अलावा ने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए बनाए एनआरसी सेंटर सिर्फ नर्सों के भरोसे हैं।
यहां डायटीशियन और पीडियाट्रिक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन सरकार ने बजट में नई भर्ती के लिए प्रावधान नहीं किया। सिकल सेल उन्मूलन कार्यक्रम चल रहा है, लेकिन प्रदेश में सिकलसेल स्पेशलिस्ट एक भी नहीं है। भाजपा विधायक शैलेन्द्र जैन ने कहा कि विपक्ष को समझना होगा कि कोई भी संस्था सामने वाले की रीपेमेंट क्षमता को देखकर ही लोन देती है। 2020 -21 में प्रदेश की कर्ज सीमा 5 % थी जो अब जीएसडीपी का 3% है।
मूंग की बोरी लेकर पहुंचे विधायक शाह, कहा- सरकार ने खरीदी की सीमा घटाई
कांग्रेस विधायक अभिजीत शाह विधानसभा में मूंग की बोरी लेकर पहुंचे। शाह ने कहा, पहले मूंग 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर खरीदी का नियम था, अब 8 क्वि. कर दिया है।
आयुष्मान योजना को लेकर नोक-झोंक
आयुष्मान योजना की चर्चा के दौरान उज्जैन के तराना विधायक महेश परमार और आयुष राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। विधायक ने कहा कि लोगों को इलाज नहीं मिल रहा। कई लोग परेशान हैं। मंत्री ने कहा नाम और पता मुझे बता दीजिए इलाज करा देंगे। इस पर कांग्रेस के विधायकों ने कहा कितने नाम बताएं। इसके बाद विस अध्यक्ष नरेंद्र तोमर ने सभी को शांत कराया।
विधानसभा में घोषणा
कश्यप ने अब मंत्री के तौर पर मिलने वाले वेतन-भत्ते छोड़े
एमएसएमई मंत्री चैतन्य कश्यप ने गुरुवार को विधानसभा की कार्यवाही के दौरान मंत्री के रूप में मिलने वाले वेतन-भत्ते आदि छोड़ने और इसे ट्रेजरी में जमा करने की घोषणा कर दी। रतलाम के विधायक कश्यप इसके पहले लगातार चुनाव जीतने के बाद विधायक के रूप में मिलने वाले वेतन-भत्ते सरकारी खजाने में जमा कराते रहे हैं।
गुरुवार को शून्यकाल के दौरान वक्तव्य देते हुए उन्होंने ये घोषणा की। सभी विधायकों ने मेजें थपथपाकर इस निर्णय का स्वागत किया। इसके पहले कश्यप 14वी, 15वी और 16 वी विधानसभा के दौरान भी वेतन-भत्ते छोड़ने की घोषणा कर चुके हैं। कश्यप पहली बार मोहन सरकार में मंत्री बने हैं। इसके बाद मंत्री के रूप में भी उन्होंने यही घोषणा कर दी। मंत्री ने कहा कि इस राशि का उपयोग प्रदेश के विकास और जनता के कल्याण में होना चाहिए।