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केरल में दिमाग खाने वाले अमीबा का चौथा केस मिला:14 साल का लड़का संक्रमित, 3 बच्चों की मौत

Updated on 06-07-2024 12:28 PM

केरल में इंसानी दिमाग खाने वाले अमीबा का एक और केस मिला है। एक 14 साल के लड़के में रेयर ब्रेन इन्फेक्शन अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। लड़के का एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, ब्रेन इन्फेक्शन से पीड़ित लड़का उत्तरी केरल जिले के पय्योली का रहने वाला है। डॉक्टरों ने बताया कि उसे 1 जुलाई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद उसमें संक्रमण की पुष्टि हुई। उसे विदेश दवाएं दी गईं। अब उसकी हालत में लगातार सुधार हो रहा है।

केरल में मई से अब तक दिमाग खाने वाले अमीबा के चार केस मिले हैं। सभी मरीज बच्चे हैं, जिनमें से तीन की पहले ही मौत हो चुकी है। मेडिकल एक्सपर्ट्स बताते हैं कि यह संक्रमण तब होता है जब फ्री-लिविंग गैर-परजीवी अमीबा बैक्टीरिया दूषित पानी से नाक के जरिए शरीर में घुसता है।

3 जुलाई को 14 साल के लड़के की मौत, तालाब में नहाते वक्त नाक से घुसा था अमीबा

बुधवार (3 जुलाई) को 14 साल के एक लड़के की इन्फेक्शन से एक मौत हो गई थी। मृदुल नाम का यह लड़का एक छोटे तालाब में नहाने गया था, जिसके चलते उसे यह इंफेक्शन हुआ। इससे पहले 25 जून को कन्नूर की एक 13 साल की लड़की की मौत हुई थी।

21 मई को इन्फेक्शन का पहला मामला आया था। राज्य के मलप्पुरम में पांच साल की लड़की की जान गई थी। इससे पहले यह बीमारी पहले 2023 और 2017 में राज्य के तटीय अलपुझा जिले में रिपोर्ट की गई थी।

जुलाई 2023 में अलप्पुझा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में पनावली के एक नाबालिग की मौत इसी इन्फेक्शन के कारण मौत हुई थी। यह लड़का झरने के पानी में नहाने गया था।

केरल में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस ​​​​​​​का सबसे पहला केस 2016 में आया था। इसके बाद 2019, 2020 और 2022 में एक-एक केस मिला था। इन सभी मरीजों की मौत हो गई थी। इस बीमारी में मरीज को बुखार, सिर दर्द, उल्टी और दिमागी दौरे पड़ते हैं।

दिमाग खाने वाला अमीबा नाम से मशहूर
अमेरिका के सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल के मुताबिक पीएएम एक ब्रेन इंफेक्शन है जो अमीबा या नेगलेरिया फाउलेरी नामक एकल-कोशिका वाले जीव से होता है। यह अमीबा मिट्टी और गर्म ताजे पानी, जैसे झीलों, नदियों और गर्म झरनों में रहता है।

इसे आमतौर पर 'दिमाग खाने वाला अमीबा' कहा जाता है क्योंकि जब अमीबा युक्त पानी नाक में जाता है तो यह ब्रेन को इंफेक्टेड कर देता है। ‘प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस’ यानी PAM बीमारी में ब्रेन-ईटिंग अमीबा इंसान के दिमाग को संक्रमित कर मांस खा जाता है।

ये कोई आम अमीबा नहीं हैं, जिसके संक्रमण को एंटीबायोटिक दवाओं से खत्म किया जा सके। ये इतना घातक है कि समय रहते संक्रमण को नहीं रोका जाए तो 5 से 10 दिन में इंसान की मौत हो सकती है।



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